आप internet में अगर खोजें तो बीसियों परिभाषाएं मिल जाएंगी शिक्षा की लेकिन प्रश्न ये है कि हम इन परिभाषाओं को कितना सत्यापित कर पाए हैं वास्तव में, क्या आज शिक्षा की दर बढ़ने से हमारे समाज में समस्याएं कम हो रही हैं ? और जबाव आपके सामने है नहीं। समस्यायों से हमारा अभिप्राय है व्यक्ति की मानसिक अशांति सहनशीलता में कमी , प्रौद्योगिकी का दुरूपयोग , समाजिक अशांति , योन हिंसा ,अविश्वास ,चरित्रहीनता , अत्याचार , भ्रस्टाचार , बेरोजगारी, प्रगति के नाम पर प्रकृति का अँधा दोहन , प्रदुषण आदि आदि। दुर्भाग्य की बात ये है की जैसे जैसे शिक्षा की दर बढ़ रही है इन समस्याओं की दर भी उसी रफ़्तार के साथ बढ़ रही है।
और हमारी शिक्षा के ऊपर प्रश्न चिन्ह लग जाता है जब उच्च शिक्षा प्राप्त और IAS जैसी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने वाला पढ़ा लिखा व्यक्ति विभिन प्रकार के भ्रस्टाचार के मामलों में सलिंप्त पाया जनता है।
यदि कोई व्यक्ति कुछ गलत करता है तो इसमे प्रमुख दोषी दोष पूर्ण शिक्षा प्रणाली होगी और साथ में वो त्रुटिपूर्ण समाजिक परिस्थितियां जिन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति कुछ गलत काम करता है।
हम उदाहरण के तौर में समझ सकते हैं, कोई व्यक्ति आत्म हत्या क्यों करता है ?
क्या ऐसे में वो आत्म हत्या करने वाला व्यक्ति अकेला दोषी है ?
सबसे पहला दोष तो उस शिक्षा प्रणाली का है जो उसे ये नहीं समझा पाई की इस मनुष्य शरीर का वास्तविक उदेश्य क्या है ? बहुत दुःख की बात है हर घंटे इंडिया में 1 स्टूडेंट आत्म हत्या कर रहा है वैसे तो हमारे देश की मैं स्ट्रीम मीडिया ऐसी आत्म हत्याओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देती परन्तु जब सुशांत सिंह राजपूत जैसे कलाकार आत्म हत्या करते हैं तो न्यूज़ चैनल्स दो चार दिन खबर चलाते हैं और फिर सब धीरे धीरे भूल जाते हैं।
आपको पता ही होगा अब से पहले 17 भारतीय एक्ट्रेस आत्म हत्या कर चुकी हैं और 10 भारतीय एक्टर (कलाकार ) आत्म हत्या कर चुके हैं जरा विचार करिये क्या मनोस्थिति रही होगी उनकी और किन समाजिक आर्थिक परिस्थितियों ने मजबूर कर दिया होगा उनको अपने अनमोल शरीर को ख़त्म करने के लिए। काश उन्हें समय पर सही शिक्षा मिली होती वो इस अनमोल मनुष्य शरीर के वास्तविक कार्य को समय रहते समझ पाते तो वे अपने अनमोल मनुष्य जीवन को यूँ अनजाने में बर्वाद न करते।
आज हमारे समाज में जो भी समस्याएं आप देख रहे हैं उसकी वजह हमारी त्रुटिपूर्ण शिक्षा प्रणाली है , और इस शिक्षा प्रणाली को सुधारना हम सब का कर्तव्य है जो इस बात को समझ पा रहे हैं। आप किसी के भरोसे मत रहिये की कोई आयेगा और एक दिन अचानक से जादू की छड़ी घुमा कर सब कुछ ठीक कर देगा , हमे अपने जिम्मेदारी समझनी होगी हमे अपने आपको पहले शिक्षित करना होगा फिर अपने साथ जुड़े अपने परिवार जनो अपने मित्रों और सबंधियों को इस तरह से ये वास्तविक शिक्षा का दीप हमे जलाना होगा। आप अध्यापक हो अभिभवक हो विद्यार्थी हो या फिर किसी भी व्यवसाय से जुड़े बुद्धिजीवी हो यदि आप इस बात को समझ पा रहे हैं की समाज में फैली हर बुराई को शिक्षा में सुधार के माध्यम से ठीक किया जा सकता है तो ये लेख आपके लिए ही है।
वास्तव में हमे अपने आप को कुछ क्षेत्रों गुणात्मक रूप से पुनः शिक्षित करने की अत्यंत आवश्यकता है जैसे
1 आध्यात्मिकता 2. स्थिरता (sustainability ) 3 वास्तविक विज्ञानं 4 पर्यावरण 5 कृषि 6 अभियांत्रिकी 7. प्रौद्योगिकी 8. व्यवसाय।
उपरोक्त आठ विषयों में हरेक अपने आप में महत्व् पूर्ण है और एक दुसरे से बहुत अधिक जुड़ा हुआ है।
वर्तमान दौर में जो शिक्षा पद्धति चली हुई है इसमें आत्म विश्लेषण करना सिखाया ही नहीं जाता जिसके आभाव में व्यक्ति अपने आत्मसम्मान को समझ नहीं पाता बल्कि अपने अहंकार को आत्मसम्मान समझने की भूल कर बैठता है। और इसी नासमझी की वजह से वो तथा कथित पढ़ा लिखा व्यक्ति कई तरह के गलत कामों में संलिप्त हो जाता है और अपनी अधूरी शिक्षा की वजह से अपना अनमोल मनुष्य जीवन बर्वाद कर जाता है । इस दुनिया में कौन सा काम कितना करने योग्य है और कौन सा काम न करने योग्य इसकी समझ हमें वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान से ही आती है। वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान वो है जिस से व्यक्ति को ये पता चल जाता है की वो इस मनुष्य शरीर में क्यों आया है और इस मनुष्य शरीर का वास्तविक उद्देशय क्या है? जब व्यक्ति को ये आध्यात्मिक बाते समझ आ जाएंगी तो वो शिक्षा लेने के योग्य होगा और चरित्र वान भी होगा।
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धन्याबाद
इस लेख के बारे में आप अपने विचार साँझा कर सकते हैं कमेंट में अपनी राय दे कर
या email thakurana.j@gmail.com से।
और हमारी शिक्षा के ऊपर प्रश्न चिन्ह लग जाता है जब उच्च शिक्षा प्राप्त और IAS जैसी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने वाला पढ़ा लिखा व्यक्ति विभिन प्रकार के भ्रस्टाचार के मामलों में सलिंप्त पाया जनता है।
यदि कोई व्यक्ति कुछ गलत करता है तो इसमे प्रमुख दोषी दोष पूर्ण शिक्षा प्रणाली होगी और साथ में वो त्रुटिपूर्ण समाजिक परिस्थितियां जिन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति कुछ गलत काम करता है।
हम उदाहरण के तौर में समझ सकते हैं, कोई व्यक्ति आत्म हत्या क्यों करता है ?
क्या ऐसे में वो आत्म हत्या करने वाला व्यक्ति अकेला दोषी है ?
सबसे पहला दोष तो उस शिक्षा प्रणाली का है जो उसे ये नहीं समझा पाई की इस मनुष्य शरीर का वास्तविक उदेश्य क्या है ? बहुत दुःख की बात है हर घंटे इंडिया में 1 स्टूडेंट आत्म हत्या कर रहा है वैसे तो हमारे देश की मैं स्ट्रीम मीडिया ऐसी आत्म हत्याओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देती परन्तु जब सुशांत सिंह राजपूत जैसे कलाकार आत्म हत्या करते हैं तो न्यूज़ चैनल्स दो चार दिन खबर चलाते हैं और फिर सब धीरे धीरे भूल जाते हैं।
आपको पता ही होगा अब से पहले 17 भारतीय एक्ट्रेस आत्म हत्या कर चुकी हैं और 10 भारतीय एक्टर (कलाकार ) आत्म हत्या कर चुके हैं जरा विचार करिये क्या मनोस्थिति रही होगी उनकी और किन समाजिक आर्थिक परिस्थितियों ने मजबूर कर दिया होगा उनको अपने अनमोल शरीर को ख़त्म करने के लिए। काश उन्हें समय पर सही शिक्षा मिली होती वो इस अनमोल मनुष्य शरीर के वास्तविक कार्य को समय रहते समझ पाते तो वे अपने अनमोल मनुष्य जीवन को यूँ अनजाने में बर्वाद न करते।
आज हमारे समाज में जो भी समस्याएं आप देख रहे हैं उसकी वजह हमारी त्रुटिपूर्ण शिक्षा प्रणाली है , और इस शिक्षा प्रणाली को सुधारना हम सब का कर्तव्य है जो इस बात को समझ पा रहे हैं। आप किसी के भरोसे मत रहिये की कोई आयेगा और एक दिन अचानक से जादू की छड़ी घुमा कर सब कुछ ठीक कर देगा , हमे अपने जिम्मेदारी समझनी होगी हमे अपने आपको पहले शिक्षित करना होगा फिर अपने साथ जुड़े अपने परिवार जनो अपने मित्रों और सबंधियों को इस तरह से ये वास्तविक शिक्षा का दीप हमे जलाना होगा। आप अध्यापक हो अभिभवक हो विद्यार्थी हो या फिर किसी भी व्यवसाय से जुड़े बुद्धिजीवी हो यदि आप इस बात को समझ पा रहे हैं की समाज में फैली हर बुराई को शिक्षा में सुधार के माध्यम से ठीक किया जा सकता है तो ये लेख आपके लिए ही है।
वास्तव में हमे अपने आप को कुछ क्षेत्रों गुणात्मक रूप से पुनः शिक्षित करने की अत्यंत आवश्यकता है जैसे
1 आध्यात्मिकता 2. स्थिरता (sustainability ) 3 वास्तविक विज्ञानं 4 पर्यावरण 5 कृषि 6 अभियांत्रिकी 7. प्रौद्योगिकी 8. व्यवसाय।
उपरोक्त आठ विषयों में हरेक अपने आप में महत्व् पूर्ण है और एक दुसरे से बहुत अधिक जुड़ा हुआ है।
वर्तमान दौर में जो शिक्षा पद्धति चली हुई है इसमें आत्म विश्लेषण करना सिखाया ही नहीं जाता जिसके आभाव में व्यक्ति अपने आत्मसम्मान को समझ नहीं पाता बल्कि अपने अहंकार को आत्मसम्मान समझने की भूल कर बैठता है। और इसी नासमझी की वजह से वो तथा कथित पढ़ा लिखा व्यक्ति कई तरह के गलत कामों में संलिप्त हो जाता है और अपनी अधूरी शिक्षा की वजह से अपना अनमोल मनुष्य जीवन बर्वाद कर जाता है । इस दुनिया में कौन सा काम कितना करने योग्य है और कौन सा काम न करने योग्य इसकी समझ हमें वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान से ही आती है। वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान वो है जिस से व्यक्ति को ये पता चल जाता है की वो इस मनुष्य शरीर में क्यों आया है और इस मनुष्य शरीर का वास्तविक उद्देशय क्या है? जब व्यक्ति को ये आध्यात्मिक बाते समझ आ जाएंगी तो वो शिक्षा लेने के योग्य होगा और चरित्र वान भी होगा।
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